वो इक नदी सी...... वो इक नदी सी अल्हड़ इक हिरनी सी चंचल सहज सी कभी प्रमुदित प्रखर किरणों संग उदित कभी सरल कहीं निरुपम उपहार इक अनुपम चित मनोरमय एवं सुगम …
Read moreमतवालों की चली रे टोली फागुन की फिर आई होली सेव ,चकली,गुझिया बनाई पकवानों की सुगंध आई बच्चे,बूढ़े सब रंग जाये अजब गजब से वो दिखलायें किशन राधा ने रास रचाया…
Read moreहर पति परमेश्वर नही होता.... करम से हर जन जाना जाये छोटा बड़ा सबको दिखलाये एतबार उसका यूँ न खोता हर पति परमेश्वर नही होता किसी पथ पर न अबला रोती डरी,सहमी न…
Read moreवो नई नारी है.... पहुँच गई गगन तक वो देखो अब चाँद छूने की बारी है चमक रही संग तारों के ही वो आज की नई नारी है भय,चिंता, से सदा दूर रहती उन्मुक्त गगन में प…
Read moreदौड़ता सा इक क्षण ठहरता कभी पल सिमटे रूचिर तन सहमे चंचल मन मौन पुरानी दीवार बंद खिड़की किवाड़ मजमा नित अनाम ठहरी स्याह सी निश लौ विहीन उजास तड़पे मन भीतर नयन …
Read moreहोली..... फागुन की मस्ती छाई घर आँगन में खुशियाँ लाई तमाशों की गूँज अपनो को ले देखो फिर होली आई। मीठी गुझिया और सेव की सुगंध सारे घर को महकाई ढोल ,नगाड़े …
Read moreजीवन एक गुलदस्ता ..... (मुक्तक) जीवन एक गुलदस्ता फूलों भरा गुलाब,चमेली,जसवंती सजी हर फूल महकता भीनी खुशबू लिए । कभी फूल महकते इसमें अपार …
Read moreकौन हूँ...... बतलाओ मैं कौन हूँ काली घटाओं सी बरसती बूँदों सी या बेबस मौन हूँ। इक अटल शीला या सुमन सी कोमल हूँ हरपल खिलखिलाती यूँ चं…
Read moreलौट आये पिता.... लौट आये पिता..... देखा एक अनोखा सपना पाई वो सुखद छाया सी घर आँगन के हर क…
Read moreखुद को पुनः बनाना .......................... खुद को पुनः बनाना ! बिखर गया जो कतरा-कतरा उसको फिर से आज सजाना ! फेक दिया जो टुकड़े करके उसे जोड़कर…
Read moreउनका इंतजार आए नहीं अभी तक प्रियतम उनका अब तक इंतजार है ! पाने को इक झलक पिया का ये दिल कितना बेकरार है ! जो कलतक गुलजार बना था वो गलियां…
Read moreनगर से दूर...... नगर से दूर गाँव में छोटी बस्ती सी एक हरे भरे खेतों के समीप सुखद आराम सुगंध भरी वायु बहती मंत्रमुग्ध कर रंग बिरंगे परिदृश्य में…
Read moreआओगे मेरे द्वार कभी दंभ देहरी पर झटक आना रख देना गुस्सा बाहर ही निर्मल मन ले भीतर आना मंदिरों सा पावन मन मेरा सजा थाल प्रतीक्षा करता रख ही लूँगी मान तुम्ह…
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