उनका इंतजार
पाने को इक झलक पिया का
ये दिल कितना बेकरार है !
जो कलतक गुलजार बना था
वो गलियां अब सूनी-सूनी ,
चारों ओर उदासी पसरी
वीराने में खोई सांसें ।
जान न पाया रौनक उससे
इन राहों में चमक उसी से ,
शोर और जज़्बात उसी से
अबतक उसका ही खुमार है !
गूंज रही आवाज अभी तक
खत्म हुआ आगाज बात का ,
लगे जहां कहकहे , ठहाके
शोर न जाने कहां हुआ गुम ।
जहां खड़ा रहता था घण्टों
आज वहां है खोया-खोया ,
खुली जगह में जो ठहरा था
जाने कब मसरूफ हुआ ,
खड़ा अकेले पथ पर देखो
कैसे वह महफूज़ हुआ ।
शायद ये दिल ढूंढ रहा था
उसको कुछ सहमा-सहमा ,
हवा वही थी ,घटा वही थी
पर कुछ था बदला-बदला ।
इन राहों पर लगता जैसे
अब तक उसका इंतजार।।

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