***मेरे शब्द***
आईना मेरे शब्दों का
बना अनुपम संसार
रच रहे ये सृष्टि मेरी
करते मेरा विस्तार
शब्द भाव में अंतर होता
शब्द छिपता ले आड़
शब्द उठाते आसमाँ पे
कभी गिराते पाताल
मेरे शब्द अनमोल से
निकले हिय से उद्गार
पहचान हैं व्यक्तित्व की
सुंदर आदर्श विचार
शब्दों की महिमा निराली
होते शब्द आधार
शब्द हृदय से निकलते
बन जाते उपहार
शब्दों में संसार समाया
शब्द करते आघात
न देखें अपना पराया
करते सूक्ष्म प्रहार
नये शब्द रचती लेखनी
करती मेरा उद्धार
दुल्हन सी सजती संवरती
कर नित्य नये श्रृंगार
सृजन,संग निर्माण करें
मनस पर छोड़े छाप
शब्द चुनती जैसे मोती
दमके जवाहरात
मां का स्वरूप लेखनी
शब्द से पोषित संसार
बांध सुंदर शब्द सलोने
दूर करती अंधियार।
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