एक दिल छू लेने वाली कविता //हाँ मैं बदल रही हूँ 
धीमे धीमे नियति से उठती
तेज गति से आगे बढ़ती
मैं इक कदम बढ़ा रही हूँ
हाँ मैं बदलती जा रही हूँ

भीतर मैं है इक विश्वास भरे 
हृदय में उमंग, उल्लास धरे
अविचल, अबाध चली जा रही
हाँ मैं बदलती जा रही हूँ

पथ में थे सैंकड़ों कंटक बिछते
सरल सुगम ना है पंथ दिखते 
हर इक कंटक चुनती जा रही
हाँ मैं बदलती जा रही हूँ

हर क्षण जागी नई आशा
खोजता हृदय रम्य अभिलाषा
सजा करावली स्वप्न सारे 
दुनिया नई सी बना रही हूँ

हर भूल नई शिक्षा देती
संस्कार सभ्यता दीक्षा देती 
सीख कर आयाम निराले 
इक अध्याय मैं बना रही हूँ

साहस हिम्मत है बल ये सारे
जीना सिखलाते नयन तारे 
आस,विश्वास यूँ भीतर भरके 
मैं तो चलती ही जा रही हूँ।