****उम्मीदों का सफर****
 
 


उम्मीदों का सफर सुहाना
संगीत का सा मधुर तराना
मंज़िल भी यूँ मिल जाएगी
भीतर इक प्यास रहने दो।

मुट्ठी   भर   आस   रहने  दो
विश्वास  तनिक  सा ही सही
नयनो के इस सूक्ष्म उपांत में
इक  नवीन  उजास  रहने दो

तिमिर  सघन गहरा भी होगा
पथ अनाम अविच्छिन्न बनेगा
दीप  की  मद्धम  लौ  जलाना
प्रदीप   तब   वहाँ  भर  जाना

सतत,  निरंतर  चलते रहना
छाँट  कंटक  यूँ गमन करना
जीवन चलने का ही  नाम है
अवसर संग नव्य आयाम है।

उम्मीद का नभ विशाल गहरा
असंख्य सितारों उजास भरा
जीवन  नभ  में  अनेक  तारे
 कर्म ,  परिश्रम, आस  सारे

टूट   जायेगी   उम्मीद  चलते 
लड़खड़ाएंगे   पग   भी  ढलते
बाधाओं   से  कभी  न  थकना
 अबाध,अविकल,सदैव चलना  

स्याह निशा भी ढल जाएगी
नीर कुमुदनी  खिल जाएगी
रवि  फिर  से  जगमगायेगा
नव    प्रभात   दिखलायेगा

उम्मीद,  आस,  नव  प्रत्याशा
उज्जवल,पथ इक अभिलाषा
है जब  तक  श्वास  तन में भी
जीवंत  उम्मीद,आस रहने दो।


✍"कविता चौहान"
       इंदौर (म.प्र)
स्वरचित एवं मौलिक