****अक्षय तृतीया****

न रहे कुछ खंड खंडों में बँटा
क्षय.  न  हो  सभी  अक्षय रहे
ईश  से  मिले  यूँ  आशीष सदा
 आज पावन पर्व अक्षय तृतीया

दिवस ये तो विशिष्ट बड़ा ही
परशुराम  ने  अवतार  लिया
वेदव्यास  ने   महाभारत  को
लिखना इसी दिन प्रारंभ किया।

माँ  गंगा  प्रकट  हो धरा पे
प्रचंड वेग ले अवतरित हुई
त्रेता  युग  की  नवीन कड़ी
शुरुआत  इसी  क्षण  हुई।

अक्षय तृतीया में पूर्वजों की
कृतज्ञ  होकर   सेवा   करते
नवकुंभ में जल भर के यूँ ही
क्षुधा,तृष्णा  को तृप्त करते

सूर्य, चंद्र,  नक्षत्र  सितारे
अनुकूल  होते सब  हमारे
महूर्त  बिन भी  कार्य सारे
शुभ मंगल पावन ही होते।

धन  संपदा का क्षय न होवे
अक्षय  तृतीया  अक्षय  होवे
स्वास्थ्य, समृद्धि की कामना
अक्षय  बने सुख,धन साधना

रोग   पीड़ा   दुख   दर्द   हरे
आनंद,नेह,प्रेम से कलश भरे
ईश्वर  से   करें  यही  याचना
हर्ष, प्रमोद  पूर्ण हो भावना।

✍️" कविता चौहान
        इंदौर(म.प्र)
       स्वरचित एवं मौलिक