चल दिया मुसाफिर चल दिया मुसाफिर खाली मकान रह गया राहें पूछती रही जाने कहां चल दिया कल तक जो लगते अपने से थे वो अब बेगाने हो चले लग रहा था सब…
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इस बार जरूर आना भईया इस बार जरूर आ जाना भईया ये राखी मेरे साथ मनाना भईया करती हूं इंतज़ार साल भर इस उत्सव का तुम्ही से तो है रंग मेरे इस त्…
Read moreवो तोड़ती पत्थर नए तोड़ती रहती हर रोज वो पत्थर नए सिर पर थामे बोझ हाथों में फावड़ा कुदाली लिए निकल पड़ती निज भोर होते ही न मौसम की सुध न स…
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