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साजन के घर

साजन के घर                 डोली   में  मैं   बैठ  कभी  अपने साजन घर आई थी , आंखों में लाखों सपने थे घुंघट में शरमाई थी ! मांग भरी  सिंदूर ढेर सा  फिर दुल्…

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ये कैसा मौसम

ये कैसा मौसम     यह कैसा मौसम आया है ना दिखाई देती कोई धूप नहीं कोई छाया है  लग रहा था बसंत जैसे आ गया पतझड़ ही अब पत्ते भी शाखों  से टूटे हुए हैं    प…

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सुनी है धरती

सुनी है धरती                   सुनी है आज धरती सब गलियारे सुनसान हो गए   जलती लाशें ,रोते इंसान सब दामन अश्को से भीग गए   फैल गया हवाओं में ये जहर कैसा …

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कितना मुश्किल है

कितना मुश्किल है               कितना मुश्किल है वक्त देखो संभल जाओ बहता ये रक्त देखो पल पल डर रहा हर इंसान देखो कोई न रोक पा रहा ये सब होकर देख र…

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