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हर मंज़र

हर मंज़र                 आज हर मंजर सहमा क्यों है लगी है भीड़ जाने कैसी शहर में तेरे फिर भी हर शख़्स तन्हा क्यों है ढूंढ रही है राहें तुझको फिर भी तू दरबदर…

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सब कुछ नया है

सब कुछ नया है      बदल गया सब आज अचानक  खिली फूल बन नई जिंदगी ,  लगने लगी कहानी जैसे  सब कुछ नया-नया है ! नहीं भरोसा इन आंखों पर दौड़ पड़ा है यह पल ज…

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