जब कोई बार-बार दुखद अतीत की याद दिलाता है, तब बहुत तकलीफ पहुंचती है।हम फिर से उसी जगह पर आ जाते है जिसे हमने बहुत पीछे छोड़ दिया था
1. *सीमाएं तय करें*: उस व्यक्ति को स्पष्ट रूप से बताएं कि आप उस विषय पर चर्चा नहीं करना चाहते हैं।
2. *विषय बदलें*: बातचीत का रुख बदलने की कोशिश करें और नए विषयों पर चर्चा करें।
3. *समर्थन ढूंढें*: अपने मित्रों या परिवार के सदस्यों से बात करें जो आपको समर्थन दे सकते हैं।
4. *आत्म-देखभाल*: ध्यान, योग, या व्यायाम जैसी गतिविधियों में शामिल हों जो आपको मानसिक शांति प्रदान करें।
5. *पेशेवर मदद*: यदि स्थिति बहुत अधिक तनावपूर्ण हो रही है, तो एक थेरेपिस्ट या काउंसलर से परामर्श लें।

याद रखें, आपकी भावनाएं और सीमाएं महत्वपूर्ण हैं। अपने मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें और आवश्यकतानुसार समर्थन लें।
 इसके अलावा, आप निम्नलिखित कदम भी उठा सकते हैं:

6. *नोट्स लिखें*: यदि व्यक्ति बार-बार अतीत की बातें उठाता है, तो आप अपनी भावनाओं और विचारों को लिखकर व्यक्त कर सकते हैं। इससे आपको स्पष्टता मिल सकती है और आप अपनी भावनाओं को बेहतर ढंग से समझ पाएंगे।

7. *सीमित संपर्क*: यदि व्यक्ति का व्यवहार आपके लिए हानिकारक है, तो उससे संपर्क सीमित करना आवश्यक हो सकता है। अपनी भलाई को प्राथमिकता दें।

8. *सकारात्मक गतिविधियाँ*: अपने दिनचर्या में सकारात्मक और आनंददायक गतिविधियों को शामिल करें। इससे आपका ध्यान अतीत से हटकर वर्तमान में आ सकता है।

9. *माइंडफुलनेस*: वर्तमान में रहने की प्रैक्टिस करें। माइंडफुलनेस तकनीकें आपको वर्तमान क्षण पर ध्यान केंद्रित करने में मदद कर सकती हैं।

10. *आत्म-करुणा*: अपने प्रति दयालु रहें। याद रखें कि अतीत के अनुभवों से उबरने में समय लगता है और यह एक प्रक्रिया है।

इन सुझावों को अपनाकर आप अपनी भावनात्मक स्थिति में सुधार ला सकते हैं और आगे बढ़ सकते हैं।

इसके अलावा, आप निम्नलिखित बातों पर भी ध्यान दे सकते हैं:

11. *आत्म-विकास*: अपनी रुचियों और शौक को बढ़ावा दें। नई चीजें सीखने और नई गतिविधियों में भाग लेने से आपका आत्मविश्वास बढ़ सकता है।

12. *समर्थन समूह*: ऐसे समूहों में शामिल हों जहाँ लोग समान अनुभवों से गुजर रहे हों। इससे आपको एकजुटता और समझ का अनुभव हो सकता है।

13. *ध्यान और प्रार्थना*: ध्यान और प्रार्थना जैसी आध्यात्मिक प्रथाएं आपको शांति और स्थिरता प्रदान कर सकती हैं।

14. *सकारात्मक आत्म-चर्चा*: अपने आप से सकारात्मक बातें करें। अपनी उपलब्धियों और ताकतों को याद रखें और उन्हें प्रोत्साहित करें।

15. *भविष्य की योजना*: अपने भविष्य के लिए छोटे और बड़े लक्ष्य निर्धारित करें। इससे आपको दिशा और उद्देश्य की भावना मिलेगी।

याद रखें, समय के साथ और सही समर्थन से आप अपने अतीत के अनुभवों से उबर सकते हैं और एक सकारात्मक भविष्य की ओर बढ़ सकते हैं।