!! हम साहित्यकार और हिंदी साहित्य !! हिंदी साहित्य में साहित्यकारों की महत्ता दर्शाता
!! एक महत्वपूर्ण आलेख !!
✍️युगों युगों से साहित्य एवं साहित्यकारों की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका रही है ।सभी कालखण्ड एवं समय में अनुपम साहित्यकार हुए हैं ।साहित्य के द्वारा समाज की दशाओं एवं स्थितियों का सजीव चित्रण करना संभव हुआ है ।आधुनिक काल में भी अनेक साहित्यकारों ने स्वयं के द्वारा रचित साहित्य से एक अच्छा स्थान निर्मित किया है।
साहित्य समाज में एक वृहद दर्पण के समान कार्य करता है। किसी भी देश अथवा समाज की भौगोलिक, सांस्कृतिक,नैतिक परिस्थितियों के सुव्यवस्थित दर्शन में साहित्य एक अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। मानव जीवन की प्रारंभिक अवस्था से लेकर विकसित होने तक प्रत्येक चरण को साहित्य के माध्यम से ही समझा गया है।यह कहना अधिक उचित होगा कि साहित्य के माध्यम से ही हम मानव समाज में कुछ सीखने समझने के योग्य एवं अनुकूल बन सके हैं ।
साहित्य को लिखने की विभिन्न विधाएं होती है ।हिंदी साहित्य का आरंभ आठवीं शताब्दी से माना गया है ।इसमें चार विभिन्न काल है ।आदिकाल ,भक्तिकाल रीतिकाल एवं आधुनिक काल इन सभी कालों में कुशल एवं ओजस्वी साहित्यकारों ने सशक्त एवं प्रेरक साहित्य को रचा था ।चंद बरदाई आदिकाल के समय में "पृथ्वीराज रासो "जैसी प्रसिद्ध पुस्तक की रचना की ।उसके पश्चात भक्ति काल में सगुण तथा निर्गुण भक्ति धारा इस प्रकार की दो धाराएं उल्लेखित थी ।इसके प्रमुख कवि तुलसीदास ,मलिक मोहम्मद जायसी ,सूरदास कृष्णदास ,रसखान ,रहीम आदि कवियों ने राम तथा कृष्णा पर काव्य रचनाएँ की।
वही जायसी ,नूर मोहम्मद आदि कवियों ने सूफी काव्य की रचनाओं को लिखा।
रीतिकाल में कवियों ने साहित्य में नए प्रयोग किये,इसलिए इसे रीतिकाल कहा गया ।अधिकांश कवियों ने श्रृंगार वर्णन ,अलंकार छंदबद्ध रचनाएं ही लिखी ।
केशव ,बिहारी, भूषण ,घनानंद आदि इस युग के रचनाकार रहे। आधुनिक काल में गद्य तथा पद्य में अलग-अलग विचारधाराओं तथा शैली का विकास हुआ। आधुनिक युग में अनेक ऐसी साहित्यिक विधाओं का विकास हुआ ,जो बिल्कुल नवीन एवं अनोखी थी ।जिसे पटकथा लेखन आत्मकथा ,नाटक ,रूपक इत्यादि। आधुनिक काल के प्रमुख रचनाकार भारतेंदु हरिश्चंद्र मैथिली शरण गुप्त ,जयशंकर प्रसाद ,महादेवी वर्मा ,माखनलाल चतुर्वेदी आदि प्रमुख है ।
इसके अतिरिक्त लेखको में मुंशी प्रेमचंद ,विनोद शंकर व्यास ,गुलेरी आदि ।
हिंदी भारत तथा विश्व में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है। हिंदी भाषा की जड़े प्राचीन भारत की संस्कृत से जुड़ी हुई है इसके अतिरिक्त मारवाड़ी ,अवधि मागधी, भाषा के साहित्य को भी हिंदी साहित्य का एक भाग ही माना जाता है।
प्राचीन काल से लेकर आधुनिक वर्तमान युग में साहित्यकारों ने सामाजिक कुरीतियों ,विसंगतियां दोषों,असमानताओं के बारे में उल्लेख करके जनमानस में चेतना को जगाया है ।समाज में किसी वर्ग द्वारा अथवा देशकाल वातावरण में हिंसा ,अशांति,नैतिक मूल्यों के हनन को एक साहित्यकार अपनी लेखनी के द्वारा सभी को जागरूक करने का कार्य करते हैं। साहित्यकार अपने द्वारा लिखे गए साहित्य के माध्यम से नव चेतना आचार विचार विकास की आधारशिला को निर्मित करते हैं।
एक साहित्यकार को सदैव सत्य एवं निष्ठा से कार्य करना चाहिए वर्तमान में ऐसे साहित्यकारों की नितांत आवश्यकता है जो देश एवं समाज के प्रति स्वयं की जिम्मेदारी समझ कर वास्तविकता एवं सच्चाई से ओतप्रोत साहित्य ही निर्मित करें। एक अच्छी साहित्यिक छवि तथा समाज के सम्मुख श्रेष्ठतम उदाहरण प्रस्तुत हो तथा मानव कल्याण के साथ ही सभी वर्गों का हित हो।
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