नव विवाहिता के नवीन सपनों पर एक सुंदर कविता हिंदी में //परिणीता 

सुंदर   सुमनों   से सेज सजाई
सोलह  श्रृंगार कर दुल्हन आई
नयनों में  नव दीप्ति जगमगाई
मद्धम निशि संग खुशियाँ लाई

सात  फेरों  बना  संसार  नया
सुख दुख के धागों बनी शय्या
नेह,आस  की  नव्य डोर बँधी
नये   गृह,  उल्लास बाँध चली

रम्य   सेज   बैठी   परिणीता
मधुर   मुस्कान नयन प्रतीक्षा
अंतस्थल  उपजे  नव्य आशा
हिय समाई अंनत अभिलाषा

सजी  मेहंदी  कोमल करावली
दिवास्वप्न    लिये  बैठी बावली
आतुर हिय खोजे इक पिपासा
नेह,अनुराग  की नव परिभाषा

भर लाई  आँचल में सितारे
नीलगगन के वो अंनत तारे
मनमोहक  सुरमई अंखियाँ
याद आ गई प्यारी सखियाँ

छिपाये   बैठी  सुंदर  मुखड़ा
ओट  से झाँकता चाँद टुकड़ा
चल रहा भीतर अंतर्द्वंद्व सारा
स्याह  निशा का रूप निराला

 देखा  जब    चिलमन   उठाये
नियति   सुनहरे स्वप्न बिखराये
सिसकियों  संग बह गई मेहंदी
मुरझाये    सुमन   गुल  सेवंती

छल ,प्रपंच   से   संसार  टूटा
नियति संग ही भाग भी रूठा
दारुण   चक्षुओं  की  वो दृष्टि
थम गई   थी  चंचल सी सृष्टि

कुछ निर्मम अनजान मुखड़े
सूने  सदन  कह  रही दुखड़े
तीव्र   श्वास  उपालंभ  गहरे
मासूम  जीवन   अंनत पहरे

चंद पलों  सजा था शामियाना
तेज आँधी बिखरा आशियाना
चिलमन से दिखते मंजुल तारे
आँचल  में  भर  गये थे अंगारे

ओझल     हुये   स्वप्न सुनहरे
सूने   उपवन  न  आये  भँवरे
हिय की पीड़ा बरबस सिमटी
स्याह निशा सी ठहरी नियति।