वो नई नारी है.... पहुँच गई गगन तक वो देखो अब चाँद छूने की बारी है चमक रही संग तारों के ही वो आज की नई नारी है भय,चिंता, से सदा दूर रहती उन्मुक्त गगन में प…
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दौड़ता सा इक क्षण ठहरता कभी पल सिमटे रूचिर तन सहमे चंचल मन मौन पुरानी दीवार बंद खिड़की किवाड़ मजमा नित अनाम ठहरी स्याह सी निश लौ विहीन उजास तड़पे मन भीतर नयन …
Read moreहोली..... फागुन की मस्ती छाई घर आँगन में खुशियाँ लाई तमाशों की गूँज अपनो को ले देखो फिर होली आई। मीठी गुझिया और सेव की सुगंध सारे घर को महकाई ढोल ,नगाड़े …
Read moreजीवन एक गुलदस्ता ..... (मुक्तक) जीवन एक गुलदस्ता फूलों भरा गुलाब,चमेली,जसवंती सजी हर फूल महकता भीनी खुशबू लिए । कभी फूल महकते इसमें अपार …
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