वो तोड़ती पत्थर नए                   तोड़ती रहती हर रोज वो पत्थर नए सिर पर थामे बोझ हाथों में फावड़ा कुदाली लिए निकल पड़ती निज भोर होते ही न मौसम की सुध न स…

Read more