जीवन की इक आस है पिता
ऋतुओं में है मधुमास पिता
आजीवन कर्म करता है पिता
कर देता सब कुछ क़ुर्बान पिता
वट वृक्ष से छायादार पिता
होता है प्रमुख किरदार पिता
होते जीवन के आधार पिता
बिन हो अधूरा परिवार पिता
शुष्क धरा शीतल जलधार पिता
स्नेह, प्रेम, प्यार होते पिता
बाहर से यूं ही सख्त दिखते
फिर होते कर्णधार पिता
खुद लिये कुछ भी ना रखते
कर देते सब कुर्बान पिता
परिवार का कोई खंड नही
होते है घर संसार पिता
जीवन नाव के पतवार पिता
लगते थे कभी इंसान पिता
खोकर उनको दिल ने जाना
थे सचमुच इक भगवान पिता।
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