कृष्ण प्रेम दीवानी मीरा
प्रेम, भक्ति में डूबी मीरा
विष को यूँ अमृत समझ के
हँसते हँसते पी गई मीरा
दर्द को अनुराग मान के
प्रेम सेज सजा गई मीरा
राधा ने था कृष्ण को पाया
विरह में कृष्ण पा गई मीरा
राणा ने दिया विष का प्याला
मृत्यु को गले लगा गईं मीरा
मीरा ने दी प्रेम परीक्षा
बैर हरा के जीत गई मीरा
कृष्ण ने राधा से रास रचाया
विरह में नेह पा गई मीरा
कृष्ण ने राधा संग गीत गाया
साँवरे को गान सुना गई मीरा
साँवरे का नाम ऐसा रटा
कृष्णमई कहला गई मीरा
कृष्ण प्रेम में दीवानी हो के
कृष्ण भजन सुनाती मीरा
प्रेम, अनुराग की उस धुन में
नयनों से अश्रु बहाती मीरा
विरह को अनुराग बता के
सृष्टि को प्रेम सीखा गई मीरा
पीड़ा में नेह अनुराग बसाया
हिय को वृंदावन कर गई मीरा
प्रेम पराकाष्ठा पूर्ण हुई तो
कृष्ण में थी समा गई मीरा।
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