एक रोमांटिक कविता हिंदी में//आज फिर लगा कि



आज फिर लगा कि मैं यूं ही तो
तुम संग आनंदित जी उठी हूं 
पुलकित हो अब हिय यह मेरा 
बांध चला तुम संग बंधन सारे 

चल पड़ी हूं हर राह पर पे 
संग तुम्हारे इक परछाई सी 
विस्मृत हो चली सब जैसे
मेरी राह भी भरमाई सी

देख रही नयनों में तुम्हारे
प्रेम की अनंत भावनायें 
स्वप्निल से नयन मेरे भी
सजाने लगे नवीन सपने

बसा के हिय में संसार नया
लालिमा अनोखी लाई संध्या 
बांध रही अपने आंचल से यूं
मनचाही सी अनेक खुशियां 

थाम ली यूं कोमल करावली
जले दीप अंगना दीपावली
चली संग आज पिया की गली
देखने इक दुनिया रूपहली।