आशा सबसे अनमोल धन // जीवन में आस का महत्व बतलाती एक प्यारी तथा प्रेरक कथा
एक महिला की मृत्यु के पश्चात उसके पति ने दूसरी शादी कर ली। उसे महिला के तीन बच्चे थे वह क्रमशः 6,8 एवं 11 वर्ष की अवस्था के थे । नई माता आये दिन घर में झगड़ा किया करती थी। बच्चों को खाना नहीं देती थी। बच्चे भूख से तड़पते रहते थे ,और उनके साथ मारपीट किया करती थी ।
यह सब कई दिनों तक चलता रहा । वह छोटे-छोटे बच्चे सब कुछ सहते रहे। कुछ दिनों बाद उसे महिला ने एक बच्चे को जन्म दिया ।बच्चों को जन्म देने के पश्चात वह अपने पति से बोली कि मैं वह अपने बच्चे और पति के साथ अकेले रहना चाहती है ।उन तीन बच्चों के साथ वह नहीं रहना चाहती । उसका पति अपने तीनों बच्चों को छोड़ने के लिए राजी ना हुआ, किंतु उसने दबाव डालकर उसे राजी कर लिया उसके पति ने कहा कि वह उन तीनों बच्चों को नहीं छोड़ सकता।
तब वह महिला बोली कि मेरे पास एक तरकीब है। हम बच्चों को एक कमरे में कैद करके बाहर से ताला लगा देंगे और उनसे कह देंगे कि हम कुछ जरूरी काम करके लौटेंगे।
उन दोनों ने ऐसा ही किया एक कमरे में बच्चों को बंद कर दिया और जरूरी काम का बहाना बनाकर अपने एक बच्चे को लेकर वहां से चल दिये और बाहर से ताला लगा दिया।
छह माह बीत गये उसके पश्चात जब उन्होंने ताला खोला तो बच्चे खुशी झूम उठे। उन तीनों के शरीर बहुत दुर्बल और क्षीण हो चुके थे लेकिन अपनी मां को देख यह खुशी से झूम उठे।
बाई आ गई,बाई आ गई कहते हुये नाचने लगे। सौतेली मां को यह सहन ना हुआ और वह गुस्से से तिल मिलाकर कह उठी मरे नहीं तुम लोग अभी भी ?
इतना कहना ही था कि तीनों बच्चे धड़ाम से जमीन पर गिर गये और उनके प्राण निकल गये।
भाव है कि एक आस ने उन्हें छह माह तक बिना खाये पीये जीवित रखा इसके विपरीत आस टूटने पर वह एक सेकंड भी जीवित नहीं रह पाये।
जीवन में एक आशा,उम्मीद सबसे बड़ी होती है।जिसके पास आस है वही जीवित है।अतः आस को कभी नही खोना चाहिये।
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