आपरेशन सिंदूर पर शौर्य से भरी हुई एक कविता हिंदी में// सिंदूर की कीमत //
धर्म पूछ के मारने वालों
अभिमान ही आज चूर हुआ
ढेर हुये जब दानव यूं सारे
शुरू आपरेशन सिंदूर हुआ
मासूमों को मार के आज जो
सुकून तुमने पाया था
रोया था फिर आंचल कहीं
कहीं सिंदूर बिखराया था
लाश जब बेटे की यूं लिपटी
तब कफन में घर आई थी
टूट गई थी लाल चूड़ियां
ममता आंसू बहाई थी
किसी का लाल था यूं कोई
तो कोई किसी का साजन था
भर गया अनगिनत आंसूओं से
ऐसा तो हर इक दामन था
खोना अब तुमको भी होगा
जैसा हमने भी खोया है
खून के आंसू रोना होगा
जैसे हमने भी रोया है
बेगुनाही की कीमत जानोगे
तुम भी दर्द को पहचानोगे
दर्द फिर ना देखा जायेगा
भारत तुमको याद आयेगा
पशुता को हमने माफ किया
अन्याय के संग इंसाफ किया
सहने की सीमा खत्म हो गई
अन्याय तो तेरी रस्म हो गई
मुंबई ,पठानकोट ,पुलवामा
पूंछ, पहलगाम, राजौरी
सत्रह सालों हम सहते आये
बरसों से चुप रहते आये
पहलगाम में की निर्दयता
वह सब तेरी थी कायरता
अब तेरा जो अंजाम हुआ
सबका काम ही तमाम हुआ
लाशों के है यूं ढेर लगे
चौराहे अब शमशान बने
सिंदूर की कीमत है जानी
भूल गया आज मनमानी
इरादे सारे नाकाम हुये
सरे बाज़ार नीलाम हुये
तेरी नीचता का ही चर्चा है
भारत के आगे तू बच्चा है
घर तेरे आज तबाह हुये
इससे कुछ तो आगाह हुये
निकल गई यूं हेकड़ी सारी
सिंदूर पड़ा तुझपे भारी
याद रखना अब तेरी बारी
"सिंदूर" की ये लालिमा सारी
जब भी तू हाथ उठायेगा
मेरा "भारत" याद आयेगा ।
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