डिजिटल अरेस्ट का जाल कितना खतरनाक ,कैसे बचें// डिजिटल अरेस्ट //




साइबर अपराध की श्रेणी में आने वाला यह मामला आजकल अत्यंत परेशान करने वाला एवं आम हो चला है ,अपराधी अथवा ठग हर दिन नई-नई तकनीकी अपनाकर भोले भाले लोगों को ठगने का प्रयास करते हैं कई बार मे वे  सफल भी हो जाते हैं पीड़ित अपना धन गँवा  देते हैं।


इनके जाल में फंसने वाले और शिक्षित नादान ग्रामीण ही नहीं कभी-कभी उच्च शिक्षित शहरी लोग भी होते हैं। इस प्रकार के स्कैम  का शिकार महानगरों के लोग भी हो रहे हैं यह किसी को भी अपना निशाना बना लेते हैं।इसमें बुजुर्गों की संख्या अधिक है।इसका कारण यह है कि बुर्जुगों तक पहुँचना अत्यंत आसान होता है।कभी कभी बुजुर्ग अकेले होते है, तथा तकनीकी के जानकार नहीं होते।

इससे बचने के लिए अत्यंत सावधानी एवं जागरूकता रखना अति आवश्यक है साइबर क्राइम से जनता की सुरक्षा हेतु भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा विभिन्न प्रकार के जागरूकता भरे मैसेज को जनता तक पहुँचाया जा रहा है ताकि कोई भी इस प्रकार की ठगी का शिकार नहीं बने डिजिटल अरेस्ट साइबर ठगी का एक नया तरीका है जो तेजी से फैलता ही जा रहा है आईए जानते हैं क्या है डिजिटल अरेस्ट 


डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest)  दिन प्रतिदिन डिजिटल अरेस्ट के मामले सामने आ रहे हैं डिजिटल अरेस्ट की शुरुआत में आपको एक फोन अथवा मैसेज प्राप्त होता है इसमें ब्लैकमेल करने वाला आपसे कहेगा कि वह इनकम टैक्स विभाग अथवा पुलिस डिपार्टमेंट से बात कर रहा है वह आप पर निम्न आरोप लगाकर दबाव बना सकता है 


1 आपका पैन अथवा  आधार का इस्तेमाल करके कई बड़ी चीज खरीदी गई है 


2 आपके द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग की गई है 


3 आपका नाम का पार्सल आया है एवं वह कस्टम विभाग से बोल रहा है आपका जो पार्सल आया है उसमें प्रतिबंधित चीज ड्रग्स या अवैध वस्तुएं रखी हुई है 


4 आप कोई प्रतिबंधित वेबसाइट देख रहे है ,जो देखना एवं इस्तेमाल करना अपराध हो 


इसके बाद ठग आपको वीडियो कॉल करते हैं और सामने बैठे रहने को कहते हैं इसके दौरान आपको धमकी भी दी जाती है कि आप किसी से बात या मैसेज नहीं कर सकते 

आपसे इस तरह के आरोपों तथा कार्यवाही  से बचने के लिए जमानत के नाम पर पैसा मांगा जाता है ऑनलाइन वीडियो कॉल में कैमरे के सामने से हटाने की इजाजत नहीं होती इसे ही डिजिटल अरेस्ट कहा जाता है 


इस तरह लोग अपने घरों या स्थान पर ऑनलाइन बंधक बन कर रह जाते हैं।इसके अनेक उदाहरण मौजूद है।जो हाल ही में महानगरों में उच्च शिक्षित एवं प्रोफेशनल लोगों के साथ घटित हुए।


पहला केस


साइबर ठगों के इशारे पर 48 घंटे तक दौड़ती रही महिला प्रोफेसर, गंवाए 3.07 करोड़


पटना की रहने वाली एक सेवानिवृत्त महिला प्रोफेसर को साइबर ठगों ने डिजिटल अरेस्‍ट कर मानसिक यातनाएँ  दीं। महिला प्रोफसर को इस कदर डराया गया  कि 48 घंटे तक ही ठगों के इशारे पर दौड़-भाग करती रहीं।

ठगों के निर्देशानुसार ही वीडियो कॉल पर ही सोना, खाना और बैंक जाकर फिक्स डिपॉजिट तोड़कर साइबर ठगों के बताए खाते में आरटीजीएस से पैसे भेजती रहीं। जब 48 घंटे तक पूछताछ के बाद महिला प्रोफेसर को पूछताछ से फ्री किया गया, तब उनको ठगी का अहसास हुआ। तब तक महिला 3.07 करोड़ रुपये गंवा चुकी थीं।


दूसरा केस


महिला डॉक्टर से कहा- पोर्न साइट्स देखती हो ,जेल जाओगी 


नोएडा के सेक्टर 77 में रहने वाली एक 40 वर्षीय महिला डॉक्टर को ठगों ने अश्लील वीडियो साझा करने की बात कहकर फंसाया। पीड़ित पूजा गोयल ने साइबर क्राइम थाने को दी शिकायत में बताया कि 13 जुलाई को उनके पास अनजान नंबर से फोन आया। कहा कि तुम पोर्न देखती हैं और शेयर करती है, यह क्राइम है।

मनी लॉन्ड्रिंग केस में भी तुम्हारा नाम है। तुम्हारा नाम गैर जमानती अरेस्ट वारंट है। इतना ही नहीं, फर्जी पुलिस अधिकारियों ने डॉक्टर से स्काइप पर पूछताछ के दौरान कहा कि तुम्हारा नाम मनी लॉन्ड्रिंग केस में नरेश गोयल के साथ आ रहा है। उसके खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत केस दर्ज हुआ है।

जालसाजों ने महिला से कहा कि बचना चाहती हो तो पैसे देकर मामला सेटल कर लो। वरना लंबा जेल जाओगी। फर्जी ट्राई के कर्मचारियों और पुलिस अधिकारियों (ठगों) ने महिला चिकित्सक की बेटी का अपहरण करने और जीवन बर्बाद करने की धमकी दी।

इसके बाद महिला डॉक्‍टर ने डरकर 59 लाख रुपये ऑनलाइन ट्रांसफर कर दिए। दो दिन तक डिजिटल अरेस्ट रहने और 59 लाख रुपये ट्रांसफर करने के बाद जब ठगों ने और रकम मांगी, तब महिला डॉक्‍टर का दिमाग चला। फिर उसने साइबर पुलिस में शिकायत की। हालांकि, पैसे वापस नहीं आ सके।


तीसरा केस


दिल्ली में रिटायर्ड इंजीनियर को साइबर ठगों ने अपना निशाना बनाया। दिल्ली में रहने वाले इंजीनियर को विदेश से एक फोन आया और उसे डिजिटल अरेस्ट कर लिया। उसके बाद उनसे 10 करोड़ रुपये ठग लिए। वहीं, गाजियाबाद में सॉफ्टवेयर इंजीनियर को साइबर अपराधियों द्वारा 24 घंटे के लिए डिजिटल अरेस्ट किया और 10 करोड़ रुपये ठग लिए। इसी तरह प्रयागराज में डॉक्टर को डिजिटल अरेस्ट करके 50 लाख रुपये का चुना लगा दिया।




डिजिटल अरेस्ट से बचाव 



इससे बचने के उपाय में से सबसे प्रमुख यह है कि डरे नहीं डिजिटल अरेस्ट की शुरुआत ही आपके डर  से होती है आपको डर दिखाया जाता है कि आप बुरी तरह फँस  चुके हैं अब आपको इससे बचने के लिए यह उपाय करना पड़ेगा तभी आप मुक्त हो सकेंगे इस तरह के स्कैम  से बचने हेतु यदि कोई फोन कॉल आता है तो डरे नहीं बल्कि डटकर सामना करें आपने कोई सामान मंगवाया ही नहीं तो फिर डर किस बात का 

यदि आपने भूलवश  साइबर ठग के कहने पर मैसेज है वीडियो कॉल रिसीव कर लिया तो घबराएं नहीं उसको रिकॉर्ड करने हेतु आपके मोबाईल  फोन में से स्क्रीन रिकॉर्डर की सहायता से स्क्रीन रिकॉर्ड कर वीडियो बना ले तब पश्चात वह मैसेज एवं वीडियो तत्काल पुलिस को सौंप दें ध्यान रखें डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई चीज नहीं होती है यह केवल साइबर अपराधियों द्वारा निर्मित किया गया धन वसूली का एक नया तरीका है



ध्यान  रखने योग्य आवश्यक बातें 


1 पुलिस अधिकारी कभी खुद की पहचान बताने के लिए वीडियो कॉल नहीं करेंगे।


2 किसी भी राज्य की पुलिस आपको कभी कोई भी एप डाउनलोड करने को नहीं कहेगी।


3 पहचान पत्र, FIR की कॉपी और अरेस्ट वारंट ऑनलाइन नहीं भेजा जाता है।


4 पुलिस अधिकारी कभी भी वॉयस या वीडियो कॉल पर बयान दर्ज नहीं कराते हैं।


5 पुलिस कभी कॉल पर निजी जानकारी पूछने के लिए डराती-धमकाती नहीं है।


6 पुलिस कभी भी परिवार व आसपास वालों से बात करने से नहीं रोकती है।


 7 देश के कानून में डिजिटल अरेस्ट का कोई प्रावधान नहीं है।


8 यहां क्राइम करने पर असली वाली गिरफ्तारी होती है, असली जेल होती है।


9 किसी भी राज्य की पुलिस कभी आपको बंधक बनने के लिए नही कहेगी।


10 पुलिस द्वारा कोई भी कार्यवाही चाहे वह जमानत हो अथवा गिरफ्तारी कभी ऑनलाइन नही की जाती।