महिला दिवस पर एक सुंदर कविता हिंदी में ।। नारी तू नारायणी 


सहनशीलता की मूरत न्यारी
कभी अबला,तो कहीं बेचारी
करुणा   प्रेम   स्नेह  धारिणी
नारी   तू   ही  इक नारायणी

घर,परिवार  योजन  रखती
हॄदय  में  नित धीरज धरती
इक सतत कर्मपथ वाहिनी
नारी तू  ही   इक नारायणी

सदियों  से ना बदली दशा
मान,सम्मान सा वहीं रखा
कभी ऊषा कहीं विभावरी
नारी  तू  ही इक नारायणी

नील  गगन को वो माप रही
अंतरिक्ष  को फिर थाम रही
हे कोमल सी हस्त करावली
नारी  तू  ही  इक  नारायणी

बाबुल के घर बिटिया कहाती
संग  पिया  सजनी बन जाती
हे धरा  सी   धीरज   धारिणी
नारी   तू  ही   इक नारायणी

शिक्षित हो कुल को सँवारे
संस्कार, आचार निखारती
हे  अद्भुत  शक्ति प्रवाहिनी
नारी  तू  ही इक नारायणी ।