छत्रपति शिवाजी महाराज पर वीरता से भरी एक कविता हिंदी में
मराठा साम्राज्य का सिंह वो
वीर शिवाजी कहलाया था
तीखी तलवारों से लड़के
स्वराज्य को ले आया था
जन्म दिया माता जीजा ने
सिंहनाद तब सिखलाया था
वीर सपूत वो भारत माँ का
रणभूमि में दिखलाया था
मुगल सल्तनत को दी चुनोती
स्वयं बनाई इक रणनीति
सभ्यता ,संस्कृति को बचाया
स्वराज्य का महत्व बताया
बाल्यकाल से सीखी नीति
सोलह वर्ष में बाज़ी जीती
तोरणा किले अधिकार किया
सैन्य अभियान आरंभ किया
मराठा साम्राज्य था बनाया
शत्रु उनसे जीत नही पाया
थे अपनों से शिवाजी हारे
शत्रु थे उनके अपने सारे
पूर्ण शक्ति से लड़ते लड़ते
रणभूमि में तब विजयी हुये
उज्जवल नव भानू समान वे
वीर शिवाजी थे उदित हुये
दिया अपनों ने विष प्याला
भीतर धधकती इक ज्वाला
छल,बदी,अपनो से दूर हुये
भीतरी आघात से चूर हुये
थे सत्ता लोलुप जन बड़े
शिवाजी के चहुँ ओर खड़े
माता जीजा के लाडले वे
काया से थे तब क्षीण हुये
वीर शासक वे अद्वितीय हुये
मराठा साम्राज्य के शीर्ष हुये
स्वर्ण अक्षरों में अंकित रहेगा
नाम शिवाजी का अमर रहेगा
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