संत रविदास पर एक कविता हिंदी में // संत रविदास
जाति पाति भेदभाव मिटा के
संत शिरोमणि वे महान हुये
सत्कर्म, प्रभु भक्ति के बल पे
रैदास फिर संत रविदास हुये
सदमार्ग था अपना लिया
संत बन भक्ति से ध्यान किया
प्रभु भक्ति का मार्ग अपनाया
मानवता को धर्म बतलाया
हृदय में थी नित शुचिता भरी
धर्म, परोपकार प्रभु हरी
प्रेम ,सद्भाव सदैव सिखलाया
नेह,कल्याण का पथ दिखलाई
सदा बोलते मीठी वाणी
सदगुरु, भगवान परम ज्ञानी
पराधीनता को कहते बदी
हिय निर्मलता ही प्रमुख कड़ी
कर्म को था प्रधान बतलाया
तब समानता का पाठ पढ़ाया
संत बन नव्य अध्याय रचा
प्रेम,करुणा का भाव मन बसा
अंतःस्थल थी इक मजबूत शक्ति
प्रभु चरणों संग प्रीत ही भक्ति
जनजन में करुणा बरसाये
तब संत शिरोमणि कहलाये ।
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