सरस्वती वंदना // हे हंसवाहिनी

 

 

 
 
 
हे हंस वाहिनी ज्ञान दायिनी माँ
ज्ञान   की  ज्योति जला देना 
वेद,पुराण  की जननी तुम ही
 जीवन में प्रकाश फैला देना

सारे   अक्षर, वर्ण   तुम्ही से 
छंदों में   है  अभिसार  तेरा
सात सुरों की साज तुम्ही से
गीत   गजल में आभार तेरा

 गीत, शब्द  ज्ञान की वाणी
 इनको  और   सँवार दो माँ
 वेद,पुराण की जननी तुम ही 
 जीवन में प्रकाश फैला देना

हाथों  मे लेखनी को धरना
तू  ही सबको सिखलाती है
गीत,सरगम ,संगीतों के सारे 
सुर और ताल यूँ सजाती है

 यूँ ही चले सदा मेरी लेखनी
 इतना  ही  योग्य   बना देना
 वेद,पुराण की जननी तुम ही 
जीवन में प्रकाश फैला देना

श्वेतवर्णी, धवला,कमलवासिनी 
शारदा,वीणापाणि,वीणाधारिणी 
तिमिर  से  दूर  करके   हमको
 माँ उज्जवल पथ दिखा देना

 जो भी कोई शब्द बोलूं माँ
 वीणा  की झंकार  सी लगे
 शब्द,गीत हर मन को भाये
 सात   सुरों के यूँ राग सजे

कंठ बसों  है मेरी मात शारदे
 मधुर  से   बोल सिखा देना
 वेद पुराण की जननी तुम ही 
जीवन में प्रकाश फैला देना।