***वीर सपूतों की गाथा***
वीर सपूतों की न्यारी गाथा
जैसे पुष्पों की इक फुलवारी
भारत माता की गोद में जन्मे
थे जाने कितने बारी बारी
भगत सिंह,वीर शिवाजी वो
थे देश की खातिर युद्ध लड़े
चंद्रशेखर, टैगोर,सुभाष भी
अपनी वीरता पर थे अड़े
स्वतंत्रता संग्राम में कूदे
भीतर इक ज्वाला जलाई
चल दिए बांध के कफ़न को
शत्रु को ना पीठ दिखलाई
मातृभूमि की लाज बचाने
आए बलिदानी शीश कटाने
देश द्रोहियों को मार गिराया
तब भारतीय ध्वज लहराया
हंसते हंसते भारत मां की
खातिर सर्वस्व बलिदान किया
भारत मां की आंख के तारों
ने मातृभूमि को मान दिया
सिखाई जीवन की परिभाषा
बढ़ते कदम त्याग की भाषा
वीरों की भारत भूमि धन्य है
शूरवीरों को सादर नमन है।
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