एक सुंदर कविता हिंदी में // प्रभु तुम सुनना //
***प्रभु तुम सुनना***
प्रभु तुम तो मेरी भी सुनना
आई तुम्हारे चरणों में
लेकर एक विनती दरकार ही
दया रहम मुझ पर भी रखना
दीन हीन सी इक सी दशा में
बैठी हूँ पर परे भी नहीं
आशीष तेरा मेरे शीर्ष पे
इतनी हूँ अब मजबूर नहीं
बैठी कोने में आस लगाये
विनती करूँ आँचल फैलायें
नयन झर झर करते बहना
प्रभु तुम तो मेरी भी सुनना
आँचल मेरा है अत्यंत लघु सा
फैला रही सम्मुख अब तेरे
घेर रही आज सूने सदन को
बेबस ध्वनि अंत स्थल मेरे
थक गई कंटक पथ पर चलते
साँझ सी बरबस बेला ढलते
सहज पथ मेरे लिये चुनना
प्रभु तुम तो मेरी भी सुनना
है यह कैसी अजब विह्वलता
कैसे सहज होती चंचलता
तनिक खुशियों से झोली भरना
प्रभु तुम तो मेरी भी सुनना।
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