रहे ना रहे

 

 


 

 रोक लो रहा मेरी फिर शायद ये आलम रहे ना रहे 

आज भर लो दिन तुम्हारा फिर ये  दिलबर रहे ना रहे 

 

ढूंढती रह जाएगी फिर ये राहें निशा मोहब्बत के शायद

 मंजिल तक ना पहुंचे इश्क समंदर बह जाने दो इन जज्बातों

 को फिर कभी ऐ मोहब्बत रहे ना रहे 

 

तरसती रह जाएगी निगाहें फिर तेरे दीदार को 

ना होगा नसीब फिर तेरा प्यार कभी ,कर लो प्यार जी भर मुझे

 फिर यह एतबार रहे ना रहे 

 

इश्क़ इक समंदर है माना मगर हर मगर इसमें हर किसी का 

पार हो जाना मुमकिन नहीं ,बह जाएगी इन लम्हों की याद भी 

शायद थाम लो इन पलों को कल ये  लम्हा रहे न रहे ||