मेरे पापा
बात बहुत समय पहले की है।पापा काम के सिलसिले में मुंबई, अहमदाबाद, दिल्ली आदि कई शहरों में जाया करते थे।पापा जिस भी शहर में जाते थे,हम भाई बहनों के लिए कुछ न कुछ लाया करते थे।
कभी अहमदाबाद की मिठाई , कभी दिल्ली से सुंदर सी घड़ियाँ या फिर डिजाइनर फ्राक ।
जैसे ही पापा घर पर आते मैं उनके बेग को टटोलने लगती थी ।
पापा इसमे कुछ नही (बेग को काफी टटोलने के बाद मैंने पूछा ?
हाँ बेटा मुझे कुछ ज्यादा काम था इसलिये इस बार तुम्हारे लिये कुछ भी नही ले सका ।
मैं कुछ नही बोली बस उठ कर वहाँ से जाने लगी ।
पापा कुछ नही बोले
मुझे मन ही मन बहुत गुस्सा आ रहा था, कि पापा मेरे लिये कुछ नही लाये । पापा मेरी तरफ अजीब नजरो से देख रहे थे । मैं कुछ समझ नहीं पाई और वहाँ से उठकर अपने कमरे में चली आई ।
कुछ देर बाद पलंग पर लेटे लेटे मुझें नींद लग गई।
सुबह जब मेरी नींद खुली तो मेरे पास एक पर्स और गोल्डन चैन वाली घड़ी रखी हुयी थी । मैनें बिना देर किये घड़ी भी पहन ली पर्स भी लटका लिया और आइने में देखने लगी । मेरा चेहरा खुशी से चमक रहा था । मैं अपने आप मे ही खोई हुई थी । तभी जोर से हँसने की आवाजे आई मैंने चौंककर देखा मेरे कमरे से बाहर पापा के साथ माँ और दीदी खड़े थे । सभी लोग मुझे देख रहे थे । पर मुझे मेरी घड़ी और पर्स के अलावा कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था । आज भी उस पल को याद करके मन रोमांचिंत हो उठता है। वह घड़ी आज भी मेरे पास है।घडी तो मेरे पास है परंतु पापा वाला वो वक्त मेरे पास नही है ।
मैंने कई घड़िया खरीदी पर मेरे पापा ने जो घड़ी मुझे दी थी वह दुनिया की सब घड़ियों की अपेंक्षा सबसे मूल्यवान और सुंदर है । आज पापा हमारे बीच नही है उनकी दी हुई उस घड़ी को देखकर मन भावुक हो उठता है। आज यह सब लिखते हुये आँख फिर से भर आई है और मन उन्ही दिनों यादों में खो गया जब मेरे पापा मेरे साथ थे । बहुत प्यारे थे वो दिन।
मिस यू पापा ,
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