*** रिश्तों की डोर ***
होती है बड़ी कोमल
यह रिश्तों की डोर
विश्वास ,प्रेम, स्नेह
रखना सदा चहुँओर
रिश्तें नाते न भान
शत्रु होता अभिमान
कुछ न रहता शेष
आम खास या विशेष
रिश्तें तो मोती समान
ना करो यूँ बदनाम
रखें प्रतिपल सहेज
होते ये विशेष भेंट
प्रेम से बने परिवार
मिले खुशियाँ अपार
त्याग कहीं समर्पण
जैसे धवल दर्पण
प्रेम अनमोल धन
सुखी हर्षित हो मन
टूटे न रिश्तों की डोर
थाम ले दोनों ही छोर
इक दूजे का सम्मान
संबंधों का रखे मान
बने सुंदर परिवेश
कविता का यही संदेश
✍️"कविता चौहान"
इंदौर ( म.प्र)
स्वरचित एवं मौलिक
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