|| हनुमान जन्मोत्सव पर एक प्यारी कविता हिंदी में || || हनुमान के राम ||
राम, रघुनंदन, राघव रघुराई
हनुमंत के प्रभु सदा सहाई
बजरंगबली कै तुमही स्वामी
राजीव लोचन अंतर्यामी।
मारुति नंदन तुम्हरे प्यारे
वानर कपीस तुम रामदुलारे
ले रघुवीर लछिमन संग ही
अहिरावण पाताल सिधारो।
कपि के हिरदय चिंता भर आयो
कुटिया जव रघुवीर ना पायो
विभीषण आन्ही रहस्य सुनायो
बजरंग बली तव तहां पधारों
देखत कपीस खोजत आयो
अहिरावण ते तव भी न पायो
मकरध्वज तव सम्मुख आयो
विसाल देह कपिही दिखायो।
कहे मकरध्वज सूत मैं तिहारो
कपि करी हिय बिचार गहरायो
मत्स्य गर्भ ते असी जन्मा
तव मकरध्वज एहि समुझायो।
युद्व भयंकर करी लराई
आपनहिं सूत ते गदा चलाई
मकरध्वज ते अजब सरीरा
सम्मुख कपि अति ही बलवीरा।
देखहिं गरजयो हनुमाना
अहिरावण ते रहस्य सुनायो
हाथ जोरी के विनय तात ही
पंचदीप सम्मुख दिखलायो।
तव पंचमुख धरयो हनुमंता
दीप बुझाए तबही तुरंता
मकरध्वज ते तनय तुम्हारे
अहिरावण कई भुजा उखारे।
इहि कपीस कछु समुझाई
मकरध्वज ते प्रीति दिखलाई
आशीष दीन्ही तुम सुखदाता
महावीर प्रभु भाग्यबिधाता।
अहिरावण ते मार गिरायो
पंचमुखी तव नाम कहायो
चल दियो ले संग रघुवीरा
हर्ष समेत अति महावीरा।
रामचंद्र प्रभु हिरदय बसे
उदय गगन ते भानू जसे
छाती चिर तबही दिखलायो
रघुवीर,जानकी छवि बनायो।
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