आनंदी बेन पटेल की वीरता पर एक कविता || Anandi Ben Patel Poetry||
****आनंदीबेन पटेल****
संघर्षों की वो असीम गाथा
परिणामों ने स्वयं सुनाई
इक नारी का रूप लेके
नारायणी धरा पर आई।
पद प्रतिष्ठा कर्मों से पाई
शौर्य कर्मठ यशस्वी नारी
निष्ठा परिश्रम के द्वारा ही
अमिट योग्यताएँ दिखलाई
कर्म पथ कभी ना भरमाई
कंटील पथ तब तो सम्मुख था
कठिन असहज मार्ग चल के
एक अनूठी सी विजय पाई
पाकर सर्वोच्च सी बुलंदी
बैठी शिखर पर वह"आनंदी"
नभ से झांकते असंख्य तारे
अवलोकित हो सारे नजारे
चंद्र की रोशनी सी चमकी
रवि की आभा सी वो दमकी
मुख्यमंत्री हो तब राज किया
राज्यपाल का पदभार लिया
समय काल की सख्त पाबंदी
ऐसी कर्मशील स्त्री "आनंदी"
चंचल चपला की सी प्रखरता
स्वभाव की न्यारी सहजता
सादा जीवन उच्च विचारी
शिक्षित विदुषी सदाचारी
उत्तमआत्मविश्वास की धनी
बदी अत्याचार की दमनी
सरल कार्य शैली से चौकाया
असंभव कर्म कर दिखलाया
इतिहास में अमित छवि होगी
आनंद जी सदा स्मृत रहेगी
धर्म मे थी गजब की आस्था
रखती सबके प्रति वो श्रद्धा
समानता भाव की कामना
सेवा,त्याग ही परम् भावना
शक्तिबल, सामर्थ्य अनोखा
देखा बुध्दिबल सबने परखा
काज किये पुरुष बल से
"लौह महिला" तब कहलाई
राज्यपाल मुख्यमंत्री शिक्षिका
शौर्य वीरता की वह नायिका
पुरस्कारों से सम्मानित हुई
हर दिशा में गौरवान्वित हुई
नारी जाति का वे गौरव है
भूमि करती यूँ यशोगान है
विकास की ओर यही गमन है
"आनंदी बेन" को साक्षात नमन है।।
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