Sad Poem||एक दर्द भरी कविता हिंदी में||चुभते शूल||

चुभते हिय में अब शूल है
चहुँओर अवलोकित तिमिर सा
आकुल खोजती इक सितारा
 मेले कुचैले पग में धूल है।

पुश्त है अत्यंत लहुलूहान सी
व्रणों पीड़ा से विरक्त हो 
रक्तिम अश्रु नयनों से बहते
अधर भी अब नमी को खोते

श्वास मद्धम सुप्त सी बनी है
मुखड़े पर ना लाली सजी है
हिय गति धीमी निस्पंद होई
बेबस अखियाँ शून्य में खोई

काली बदरी घनघोर बनी
उज्जवल, श्वेत चंदन सी काया
नयनों में आभा दीप्ति सजी
खोया अंधकार में यूँ साया

रूखी  अजब आज चितवन है
हॄदय में  प्रतिपल सिहरन है
अधरों पर बिछी इक पिपासा
उपजे अंतस्थल में नव्य आशा।।