Janmashtami Poem on Lord Krishna in Hindi||जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण की कविता हिंदी में||**कृष्णा**
टूट गयी यूँ बेड़ियाँ सारी
आये धरा पे कृष्ण कन्हाई
वासुदेव कान्हा को छुपाये
यमुना विकराल रूप दिखाये
देवकी वसुदेव भय से कँपते
कारागार में थमते छुपते
दुष्ट कंस ने जब ये जाना
मृत्यु भय था उसने माना
चिरनिद्रा में सब लीन हुए
माया के यूँ आधीन हुए
नियति ने अजब खेल दिखाया
मुस्कुराते कृष्णा धरा आया
चले वासुदेव टोकरी धरे
लल्ला को थामे निकल पड़े
पहुँच गये तब नंद के द्वारे
कान्हा यशोदा के दुलारे
लीलाधर ने जननी पाई
देवकी दूजी यशोदा माई
पहुँच गए यूँ गोकुल चलते
रह गया वो कंस हाथ मलते
हार तनिक न वसुदेव माने
चलते रहे लल्ला को थामे
बरखा,तूफां से न घबराये
छोड़ मथुरा गोकुल आये
काली अँधियारी रात्रि ढली
जगमग उजियारा दिखलाया
जग का उद्धार करने कृष्णा
ले अवतार धरती पर आया।।
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