Love Poetry|| स्पर्श||एक प्रेम भरी सुंदर कविता हिंदी में||
स्पर्श वो अनूठा अद्भूत था
प्रेम बयार यूँ सीने में
चलती अनगिनत स्वप्न लिए
नयनों में स्नेह अपार था
कण कण मेरे हृदय का यूँ
तुम्हारे ही तो आधीन था
चलती तीव्र श्वासों में तो
नाम केवल तुम्हारा ही था
क्षणभंगुर जिजीविषा भी तो
जाग उठी अंतस्थल तब मेरे
सुप्त पिपासा बन अनुराग सा
पलने लगा था भीतर मेरे
मौन भी तब मुखर हो उठा
उन तीक्ष्ण उसासों की ध्वनि में
चलते रूकते निश्चय सारे
स्थिर हो उठे हॄदय में जाने
विभावरी इक पल तो ठहरती
रूमानी बनती यूँ नगरी
प्रेम सिहरन दुकूल सी हो
नव उत्कंठा सहज ही रचती।
0 Comments
Post a Comment