तुम्हारी याद
 
 
 
 
 
चली जब हवा अजब मदभरी
दिखाई घटा ने जादूगरी
था मौसम वही सुहाना सा
आज फिर तुम्हारी याद आ गई।

चलते-चलते थमे कदम भी
राह जब तेरे घर की दिखाई
था मौसम वही सुहाना सा
आज फिर तुम्हारी याद आ गई।

चाँद की वो अनोखी चाँदनी
रात भी काली घनी गहराई
था मौसम वही सुहाना सा
आज फिर तुम्हारी याद आ गई।।