साँवरिया तुम कब आओगे
 
 
 
 
साँवरिया तुम कब आओगे
बाॅसुरी की वही सुरीली 
तान अब सबको सुनाओगे

फिर वही दुर्योधन दुश्शासन 
रण में सीना तान के खड़े
हँसतें मुख से विकराल हँसी 
संहार उनका कर जाओगे
साँवरिया तुम कब आओगे

विवश हुई अबला नारी 
करते अट्टहास बारी बारी 
द्रोपदी की लाज बचाओगे 
साँवरिया कब आओगे 

हुई बेबस अब चंचल सुरभि 
रंभा के सबका मन हर्षाती
अस्त्र तान के दानव खड़े
भक्षण करते हो निर्भिक बड़े 
उस मूक जीव को बचाओगे 
साँवरिया तुम कब आओगे 

है छाया यूँ अंधकार घना 
लोभ , क्रोध मे अंधा हो के 
भाई भाई का शत्रु बना 
घृणा ,ईर्ष्या को दूर करके 
इक नई राह दिखलाओगे 
साँवरिया तुम कब आओगे 

संबंधो की बदली परिभाषा 
स्नेह , प्रेम की ना रही आशा 
फिर वह प्रेम सिखलाओगे 
साँवरिया तुम कब आओगे।।