कभी खुद के लिए भी जी लिया करो
 
 
 
 
 
 
 
 
कभी खुद के लिए भी जी लिया करो
ज़िंदगी है कुछ उलझी सी कभी कभी
खुशहाल तो गमगीन भी है 
ज़ख़्म है हर दिल में कहीं न कहीं
ज़ख़्म भी ये यूं ही सी लिया करो।

कभी सपने नए बुन लिया करो
कुछ तो खुद के लिए चुन लिया करो
थक जाओ तो बैठ कर यूँ ही चैन लिया करो 
कोई न कहेगा कभी की आराम कर लिया करो।

जो आज है वो कल हो जाएगा 
जो कल है वो बीत चला देखो जल्दी
न रोक पाओगे चाह के भी उस तेज़ दौड़ रहे वक्त को
लम्हे कुछ चुपके चुरा लिया करो कभी
भर लो मुट्ठी में अरमान जी लो सभी।

निकल जायेगा जीवन चिंता के बोझ तले
बीत जाएगा समय या फिर तुम रह जाओगे 
देखते खड़े खड़े।

बह जाएगी समय की धारा इक दिन
अपने समय मे कुछ यादगार किस्से 
बना लिया करो
कभी खुद के लिए भी जी लिया 
करो।।