कितना सुकून है

 

 

 

कितना सुकून है तेरी इन बाहों में ठहर गया इन दिलकश पनाहों में 

भूल कर दुनिया सारी रह गया मैं तो इन खूबसूरत जहानों में


ख़्वाब है मेरा  या हकीकत है  रंगीन है सब इन फिजाओं में
 
शाम है गुलाबी अब नजर है शराबी इन राहों में 
 
बह रही खुशबू इन तेज हवाओं में
 
एक नशा सा छाया है इन काली घटाओं में 
 
ना कोई चिंता ना कोई डर अब  बेफिक्र सा हो गया शायद 


बस तेरा नाम गूंज रहा मेरी इन राहों में 
 
कितना खुशहाल हूं आज बसाकर तुझे इन निगाहों में
 
तेरा बन गया हूं भूल कर हर  बेगानों में
 
हर तरफ तू है बस अब मेरे हर फसानो में

पूछे जो कोई तो लिख दूंगा नाम अपना तेरे दीवानों में 
 
कितना सुकून है तेरी इन बाहों में ठहर गया इन दिलकश पनाहों में