ये बेटियाँ
 
 
 
 
 
 
 
 
 

 
 
होती है अनमोल धरोहर माता पिता के लिए ये बेटियां 
सजा देती है मकान  को घर बनाती है ये बेटियां
 
करती है चिंता पूरे परिवार की जब ससुराल जाती है ये बेटियां
माँ बाबूजी भाई  सबका सुख दुख बांटती
सबकी लाडली होती है ये बेटियां
 
घर की मान मर्यादा होती है ये बेटियां
मायके का नाम बढ़ाती कुल की लाज बनाती है ये बेटियां
होता है परिवार इनसे पूरा घर की रौनक होती है ये बेटियां
 
मातपिता के लाड़ दुलार से पलती है ये बेटियां
भुलके अपनी  दुनिया सारी बैठकर डोली में विदा हो जाती है ये बेटियां
बंधके रस्मों रिवाजों में अपनी नई दुनिया में रम जाती है ये बेटियां
 
कभी गुड़िया कहलाती तो कभी बूढ़े पिता की लाठी भी बन जाती है ये बेटियां
नाज़ुक है इनके कंधे फिर भी कभी कभी जिम्मेदारी का बोझ उठा जाती है ये बेटियां
 
कभी दहेज तो कभी जन्म से पहले ही क्यूं मार दी जाती है ये बेटियां
प्रकृति का उपहार है फिर भी क्यूं मिटा दी जाती है ये बेटियां।।