****समय के साथ चल****


समय  का  पहिया  तेज़ चलता
कभी ना किसी के लिए रुकता
संग   इसके   जो   चल  पाया
जीवन  उसका धन्य कहलाया 

लक्ष्य,  कार्य,     गति    मूल   है
लक्ष्यहीन   जीवन   इक  शूल है
समय  चलने हेतु रहता तत्पर है
चले उठाके अरुणाभ मस्तक है

उदाहरण   ऐसे  है  अनेकों
समय  गति से पीछे  चलते
रह  गए  वे  तो  वहीं   खड़े
हालातों से जो न कभी लड़े 

समय गति वायु समान होती
गतिहीनता जीवन ही खोती 
तुम  भी समय के संग चलो 
जीवन में प्रगति के रंग भरो 

चलता  रहा   वो  निरंतर सा
कभी  बदले   कालांतर  सा
जो  सदा उसके संग चलता
मुकद्दर उसका क्षण बदलता

✍🏻  "कविता चौहान"
       स्वरचित एवं मौलिक
       इंदौर (म. प्र )