****माँ शेरावाली****
कुमकुम  भरे पग से  चलके
द्वारे फिर आई माँ शेरावाली 
सज   गये  घर  और अँगना
बाजे  पायल खनके कंगना

कोई  झोली  ना रहे खाली 
भर    देगी   माँ   शेरोवाली
 माँ  का  जयकारा लगाओ 
श्रद्धा,नेह से माँ को बुलाओ

नव दिन यह तो कितने प्यारे
 भक्ति  पूजा  से बीतते  सारे
प्रेम  भाव  से   बोना  जवारे 
जय  माता  दी  सभी पुकारे

हरा   लाल  है  माँ  का चूड़ा 
मोगरे से सजा हुआ है जूड़ा
 प्रेम से सब भक्तों को दुलारे
माँ  के  नयन तो सुंदर न्यारे

झूठ ईर्ष्या का त्याग करना
हृदय में पावन भाव रखना
माँ को तुम कुपित ना करना 
अत्याचार निंदा से दूर रहना

भाव   तुम्हारे   पावन   होंगे 
वही सब माँ के  बालक होंगे
आशीष  वही तो पा जायेगा
 जो  अपना  धर्म  निभायेगा

अबला का तुम सम्मान करना
निरीह पशु  का  दुलार  करना 
सहायक  भले  ही ना बनो तो 
पीड़ा   का   पर्याय  न  बनना

खीर  पूड़ी  का  भोग लगाओ 
लाल चुनर से  माँ को सजालो 
 उज्जवल  मुख  आभा  दमके 
माँ की बिंदिया चाँद सी चमके

चारों  ओर  खुशहाली   छाई
मंगल पावन  बेला फिर लाई
 खोलना द्वार सदन के भक्तों
द्वार   पे   माता   रानी  आई।