वीर सपूतों की एक कहानी
तुमको आज सुनाती हूँ
शहीद हुये जो वीर सारे
उनको याद दिलाती हूँ ।
चप्पा चप्पा गूँज उठा था
जब राणा के जयकारों से
मुग़लों को मार गिराया
अपनी तेज़ तलवारों से
रंग आई थी हल्दी घाटी
तब लहू के निशानों से
सहमा सहमा अकबर भागा
राणा के तीव्र प्रहारों से
राणा की शक्ति के सम्मुख
तो मुगल सारे ढेर हुये
भारत माँ की गोद मे जन्मे
जाने कितने शेर हुये
जब रानी ने चमकती हुई
इक तलवार उठाई थी
फिरंगियों को मार भगाया
लक्ष्मी बाई कहलाई थी
कूद पड़ी थी रण भूमि में
इक मशाल जलाई थी
अंतिम साँस तक लड़ती रही
वो रवि सी जगमगाई थी
प्राप्त हुई थी वीर गति को
हाथ कभी ना आई थी
हँसते हँसते जब रानी ने
अपनी चिता जलाई थी।
भारत माँ का लाल निराला
भगत सिंह दीवाना था
आज़ादी के संग्राम में कूदा
इक ऐसा परवाना था
संघर्षों के शूल पे चलके
फूलों की सेज को छोड़ा
चल दिया बाँध कफ़न को
हँसते हँसते फाँसी पे झूला।
अपने कुल की लाज बचाने
पदमिनी ने अनलकुंड जलाया
अस्मत की रक्षा करने फिर
रानी ने जौहर था दिखलाया
पहुँच न पाया दुश्मन उनके
समीप कभी न आया था
राख हो गई भले पदमिनी
उसने मान बचाया था
मराठा साम्राज्य का सिंह जो
वीर शिवाजी कहलाया था
तीख़ी तलवारों से लड़के
स्वराज्य को ले आया था
जन्म दिया माता जीजा ने
सिंहनाद सिखलाया था
वीर सपूत वो भारत माँ का
रणभूमि में दिखलाया था।
भारत का ये इतिहास पुराना
याद रखेगा सारा ज़माना
देश की खातिर मर मिटा जो
हर इक वीर था वो दीवाना।।
0 Comments
Post a Comment