मोहब्बत
कभी रूठना कभी मुस्कुराना है
जीवन यूँ ही गुजरते जाना है
अजब ये कैसी पहेली है देखो
आँसुओं को भूल के मुस्कुराना है।
दिल की धड़कन तो बड़ी दीवानी
आई न लौट के घड़ी वो सुहानी
धक धक धड़कता हुआ ये दिल
आखिर इक दिन थम ही जाना है
दिल की डोर कभी टूटे नही
हाथ से हाथ कभी छूटे नही
उस चंदा का भी आखिर
वो चकोर ही दीवाना है
बीत जायेगी हर घड़ी हँसते
संग चल देंगे हम हर रास्ते
किया जो इंतज़ार सदियों से
किस्मत में इक कतरा ही आना है
मोहब्बत के लिए तरसा ज़माना है
ये कैसी पहेली है "कोमल "
प्यार जितना भी हो आखिर
कम तो पड़ ही जाना है
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