***लाचार नही तुम***
 

 

लाचार  नहीं  मजबूर  नहीं 
अक्षम  नहीं सक्षम  तुम हो 
नयन  मीच   गये  तो  क्या  
मन की आंखों से देखते हो

दुर्बलता   को   शक्ति   बनाना 
अध्याय एक नया लिख जाना
उदाहरण   तुम  सर्वत्र   देखो
बिखरी  ताकत भीतर समेटो

तुम  जैसे  जन  कितने सारे
वे  सब   न  बन  बैठे  बेचारे
हौसलों   से ग गन तुम छूलो
ठहर कुछ क्षण पगरज धोलो

सुधा चंद्रन  ने नृत्य सीखा
भूल हादसे को पल जीता
अरुणिमा ने पीड़ा भुलाई
एवरेस्ट   को  नाप  आई

हाकिन्स  न  रहै  यूँ   सोये
कम्प्यूटर   में   रहते   खोये
अंग शरीर के काम न आये
तनिक  भी  वे  ना  घबराये

कमियों को कुछ न जाना
जग ने उनका लोहा माना
उत्साह भीतर ग्रहण किया
पीड़ा,दुख का दमन किया

बटोर विश्वास तिनका तिनका
जोड़कर तुम  संग यूँ रख लेना
इक   अनूठी   मिसाल   बनके
नया इतिहास खुद ही लिखना