***नेकी की राह पर तू चल सदा***





नेकी  की राह पर चल सदा
जीवन ये तो बहुत अल्प सा
सत्कर्म  संग  कर्तव्य  निभा
नेकी कर  के तू  पुण्य कमा

मानवता धर्म ही सबसे बड़ा
करना कदर इसकी तुम जरा
संयम, सतगुण हॄदय में रखना
प्रिय तुम  सबके  लिये  बनना 

सत्य, निष्ठा  को  धारण  करें
झूठ, कपट  से  सदा  परे रहे
अच्छाई   की   इमारत  बना
नेकी की राह पर चलता जा

आज नही तो कल पहुँचेंगे
पीछे  कभी  हम  न रहेंगे
नेकी,  परोपकार  करना
सुकून शांति से भरे रहना

रखो  हृदय में नेकी की भावना 
यही   है   एक  सच्ची  साधना
 निडर  साहसी  बनाकर चलो
 सत्य पर सत्य पथ पर डटे रहो

नेकी अच्छा मानव  बनाती
अनूठा  अस्तित्व   दिलाती
कुछ भी तो शेष न रह जाता 
नेकी से मानव सद्द्गति पाता।

✍️"कविता चौहान
      इंदौर (म.प्र)
      स्वरचित एवं मौलिक