Dev Uthani Poem ||देव उठनी ग्यारस पर सुंदर कविता हिंदी में ||
 
 
 
                                                   
 
 
   *****देव प्रबोधिनी*****






चिरनिद्रा से नारायण जागे
शुभ पावन घड़ियाँ ले आई
तुलसी शालीग्राम संग आये
गगन में  ज्योत्सना दिखलाई।

आँवला, गन्ना,बोर भाजी
खोल बंधन शुभ महुर्त सारे
आई आज देव प्रबोधिनी 
जल उठे आज दीप हर द्वारे।

ढोल,मजीरे,ताशे बज रहे
पुष्प,बंदनवार आज सज रहे
थमें हुये थे शुभ काज सारे
 ले अवतार जगदीश पधारे।

सुख,समृद्धि आरोग्य बना
है गेंदा,गुलाब सुंदर सजा
घर आँगन रंगोली सजाना
प्रभु का शुभ आशीष पाना।



 

 

 

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