ए चाँद.....
ए चाँद खोया है अब कहाँ
हर सितारा ढूंढता यहाँ
नभ है जैसे सूना सूना
बेमजा पड़ा हर इक कोना
चलती तो फिर आँख मिचौली
चाँद तारों संग खूब खेली
अब ना अजनबी सा रूठना
भीतर से अब कभी न टूटना
आभा निसदिन मन बहलाती
हमजोली न्यारी दिखलाती
नभ के आँगन तब दमकती
श्वेत चाँदनी खूब चमकती
नव आलोकित कोमल रश्मियाँ
कर रही अनुपम प्रेम बयाँ
प्रीत हॄदय में सदा जोड़ना
विकल हो कभी मुख न मोड़ना
चाँदनी वो नभ में ही खिली
हमसफ़र बन के संग संग चली
फिर अपने वतन लौट आना
अटूट प्रेम दिखला जाना
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