फिर वो  नई इक आस होगी
टिमटिमायेगा हर सितारा
जुगनुओं से रोशन रात होगी
आज वो अनोखी बात होगी

मुझे दीप फिर जलाना है
 रात अंधेरी रोशन करना है
चाँद तुम फिर से इधर आना
चान्दनी से मेरा घर सजाना

मुझे आज फिर से जीना है
ज़ख्म वो पुराने सीना है
खुशियों को मेरा पता दिया
हर लम्हा फिर यूँ बीता लिया

इंतज़ार की घड़ियां खास है
सुंदर,मनोरम आभास है
जलती बुझती लौ प्रदीप की 
कभी  जगमग आभा उज्ज्वल सी
 
उम्मीदों के बिखरे मोती 
आज फिर करीने से सजेंगे
इक नए खूबसूरत सफर में
हम सदा साथ साथ चलेंगे।

✍️"कविता चौहान"
स्वरचित एवं मौलिक