गूँज वो पिचकारी की रंगों की बौछार राधा की उम्मीदें किशन का सारा प्यार पकवानों की खुशबू खुशियों की बहार मतवालों की टोली रंग बिरंगी जलधार भाँग,ठंडाई की मस्त…
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वो इक नदी सी...... वो इक नदी सी अल्हड़ इक हिरनी सी चंचल सहज सी कभी प्रमुदित प्रखर किरणों संग उदित कभी सरल कहीं निरुपम उपहार इक अनुपम चित मनोरमय एवं सुगम …
Read moreमतवालों की चली रे टोली फागुन की फिर आई होली सेव ,चकली,गुझिया बनाई पकवानों की सुगंध आई बच्चे,बूढ़े सब रंग जाये अजब गजब से वो दिखलायें किशन राधा ने रास रचाया…
Read moreहर पति परमेश्वर नही होता.... करम से हर जन जाना जाये छोटा बड़ा सबको दिखलाये एतबार उसका यूँ न खोता हर पति परमेश्वर नही होता किसी पथ पर न अबला रोती डरी,सहमी न…
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