लौट आये पिता.... लौट आये पिता..... देखा एक अनोखा सपना पाई वो सुखद छाया सी घर आँगन के हर क…
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खुद को पुनः बनाना .......................... खुद को पुनः बनाना ! बिखर गया जो कतरा-कतरा उसको फिर से आज सजाना ! फेक दिया जो टुकड़े करके उसे जोड़कर…
Read moreउनका इंतजार आए नहीं अभी तक प्रियतम उनका अब तक इंतजार है ! पाने को इक झलक पिया का ये दिल कितना बेकरार है ! जो कलतक गुलजार बना था वो गलियां…
Read moreनगर से दूर...... नगर से दूर गाँव में छोटी बस्ती सी एक हरे भरे खेतों के समीप सुखद आराम सुगंध भरी वायु बहती मंत्रमुग्ध कर रंग बिरंगे परिदृश्य में…
Read moreआओगे मेरे द्वार कभी दंभ देहरी पर झटक आना रख देना गुस्सा बाहर ही निर्मल मन ले भीतर आना मंदिरों सा पावन मन मेरा सजा थाल प्रतीक्षा करता रख ही लूँगी मान तुम्ह…
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